एक ही मुहूर्त में जन्म लेने पर भी सबके भाग्य अलग अलग क्यों?
एक मोटिवेशनल कहानी…
इस कहानी से अवश्य कुछ सबक लेंवे..|
बहुत समय पहले की बात है, एक बार एक राजा ने बड़े से बड़े विद्वान ज्योतिषियों को सभा में बुलाकर एक प्रश्न किया| राजा ने पूछा की “मेरी जन्म पत्रिका देखकर बताओ कि जब मेरा राजा बनने का योग था, इसलिए मैं राजा बना | जब मेरा जन्म हुआ उस समय पर अनेक लोगों ने जन्म लिया होगा पर वे लोग राजा क्यों नहीं बन सके?”
इसका क्या कारण है?
राजा के इस प्रश्न को सुनकर सब विद्वान ज्योतिष निरुत्तर हो गए |
उस सभा में से एक वृद्ध खड़े हुए और बोले – महाराज आपको यहाँ से कुछ दूर घने जंगल में एक महात्मा मिलेंगे, उनसे आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल सकता है |
राजा ने उसी समय घने जंगल में जाकर देखा कि एक महात्मा आग के ढेर के पास बैठ कर अंगार खाने में व्यस्त है | राजा ने उस महात्मा से जैसे ही प्रश्न पूछा तो महात्मा क्रोधित हो गए और कहा “तेरे इस प्रश्न का उत्तर आगे पहाड़ियों के बीच एक महात्मा मिलेंगे, वो दे सकते है |”
राजा ये सुन कर और उत्साहित हो गया और आगे पहाड़ियों कि तरफ निकल गया दूसरे महात्मा के पास | जैसे ही राजा दूसरे महात्मा के पास पहुंचा तो वहाँ का दृश्य देखकर हक्का बक्का रह गया, वहां का दृश्य कुछ इस कदर था | दूसरे महात्मा अपना ही मांस नोच नोच कर खा रहे थे | जैसे ही राजा ने दूसरे महात्मा से वही प्रश्न पूछा तो ये महात्मा भी क्रोधित होते हुए बोले कि – “मैं भूख से बेचैन हूँ मेरे पास समय नहीं है |” आगे जाओ, आगे एक आदिवासी गाँव में एक बालक जन्म लेने वाला है, जो बहुत ही काम समय के लिए जिन्दा रहेगा | वह बालक तेरे इस प्रश्न कर उत्तर दे सकता है |
राजा कि जिज्ञासा और बढ़ गयी | राजा फिर से उसी प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए आगे बढ़ गया और उस गाँव में पहुंचा | गाँव में उस दंपति के घर पहुँच कर सारी बात कही…
जैसे ही उस बालक ने जन्म लिया, दंपति नाल सहित बालक को राजा के सामने ले आयी |
राजा को देखते ही वहाँ बालक हँसते हुए बोला – हे राजा ! मेरे पास भी समय नहीं है, किन्तु अपना उत्तर सुन लो –
तुम, मैं और दोनों महात्मा सात जन्म पहले चारों राजकुमार थे | एक बार शिकार करते करते हम जंगल में तीन-चार दिनों तक भूखे प्यासे भटकते रहे |
उसी समय हम चारों को एक आटे की पोटली मिली | हमने उस आटे की चार बाटी बनाई और अपनी अपनी बाटी लेकर खाने ही वाले थे कि भूख से तड़पते हुए एक महात्मा वहां आये और जो महात्मा अंगार खा रहे थे उनसे कहा कि मैं बहुत दिनों से भूखा हूँ, मुझ पर थोड़ी दया करो और अपनी बाटी मुझे दे दो, जिससे मेरा जीवन भी बच जाए |
इतना सुनते ही वह गुस्से से भड़क उठे और बोले, “अगर ये बाटी तुम्हे दे दूंगा तो क्या मैं अंगार खाऊंगा? चलो भागो यहाँ से |”
वे महात्मा फिर मांस खाने वाले महात्मा के पास गए और उनसे भी वही कहा | किन्तु उन्होंने भी गुस्से में आकर कहा कि “अगर मैं अपना खाना तुम्हे दे दूंगा तो क्या मैं अपना मांस नोचकर खाऊंगा?” चलो जाओ यहाँ से |
फिर महात्मा मेरे पास आये और मुझे भी अपनी बात कही, किन्तु मैंने भी भूख को देखते हुए उन्हें कह दिया कि “मैं अपना खाना तुम्हे दे दूंगा तो क्या मैं भूखा मरुँ?”
वह आशा खोते हुए आपके पास आया और दया याचना कि पर आपने उस महात्मा पर दया करते हुए अपनी बाटी में से आधी बाटी उस महात्मा को दे दी | वह बाटी पाकर बहुत खुश हुए और बोले “तुम्हारा भविष्य तुम्हारे कर्म और व्यव्हार से बहुत फलेगा |”
उस बालक ने कहा, “इसी प्रकार उसी घटना के आधार पर हम चारों अपना कर्म का फल भोग रहे हैं |” ये कहते हुए वो बालक मर गया |
इसी प्रकार “धरती पर एक समय में अनेक लोग जन्म लेते हैं किन्तु सबके कर्म और व्यवहार भिन्न भिन्न होता हैं |” यही जीवन कि सच्चाई हैं और हमे भी अपने सबकी मदद करनी चाहिए, जिससे कि हम अपने जीवन में खुश रह सके |
“गलत पासवर्ड से एक छोटा सा मोबाइल नहीं खुलता तो सोचिये गलत कर्मों से स्वर्ग के रास्ते कैसे खुलेंगे |” सबको अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता हैं इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करते रहिये |