क्षितिज के पार से by Pragya Shuka

क्षितिज के पार से By Pragya Shukla

क्षितिज के पार से By Pragya Shukla चाहती हूँ लौट आओ तुम क्षितिज के पार से, अब तिमिर घनघोर छाया, कुछ नजर आता नहीं, राह अब मुझको दिखाओ, तुम क्षितिज…
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