Parshuram Jayanti: देश इस लॉकडाउन में आज मना रहा है परशुराम जयंती

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By admin

भारत में कई स्थानों पर कल भगवान Parshuram Jayanti और अक्षय तृतीया दोनों एक साथ मनाई जाएगी | पंचांग भेद के अनुसार इस बार 25 अप्रैल को भगवान परशुराम जयंती मनाई जा रही है | भगवान परशुराम जी का पृथ्वी पर अवतरण वैशाख मॉस की शुल्क तृतीया तिथि को माता रेणुका के पावन कोख से हुआ था | इसी प्रकार भगवान परशुराम जी का जन्म अक्षय तृतीया को माना जाता है | इसी के साथ ये भी माना जाता है की भगवान परशुराम का प्राकट्य काल “प्रदोष काल” है |

साल 2020 में यह दिवस 25 अप्रैल को आने के कारण परशुराम जयंती शनिवार को मनाई जा रही है | परन्तु पारम्परिक मान्यता के अनुसार कई स्थानों पर 26 अप्रैल को भगवान परशुराम जयंती के साथ साथ अक्षय तृतीया मनाई जाएगी | इस समय पूरा देश कोरोनावायरस की महामारी से जूझ रहा है जिसके कारण लोगो को लॉकडाउन का पालन करना पड़ रहा है इसलिए लोगों को भगवान परशुराम जी की पूजा घर पर ही करनी पड़ेगी |  वहीं लॉकडाउन के चलते इस बार जयंती पर शोभायात्रा का भी आयोजन नहीं किया जाएगा। यह निर्णय ब्राह्मण समाज द्वारा लिया गया है।

भगवान परशुराम जी की पूजा |

इस दिन सुबह सुबह शुद्ध स्नान करने के बाद अपने घर के मंदिर को शुद्ध करने के बाद भगवान परशुराम जी को जल व् पुष्प अर्पित करे और भगवान परशुराम जी का ध्यान करें | मान्यता तो ये है की भगवान परशुराम जी विष्णु के अवतार है जो की श्री हनुमान जी और अश्वत्थामा जी की तरह ही सशरीर इस पृथ्वी पर उपस्थित है | उनको हमेशा से ही न्याय का देवता कहा जाता है |

प्राकृतिक सौंदर्य के महत्व को जानते थे |

भगवान परशुराम जी प्रकृति प्रेमी और संरक्षक थे और इस सृष्टि को प्राकृतिक सौंदर्य सहित जीवंत बनाये रखें चाहते थे | वे सभी पशु पक्षियों फल फूलों और इस समूची प्रकृति को जीवंत रखना चाहते थे | उन्हें न्याय के देवता के साथ साथ भार्गव के नाम से भी जाना जाता है | वे पशु पक्षियों से बातें कर सकते थे उनकी भाषा समझ सकते थे | कई खूंखार जानवर भी उनके सिर्फ चुने मात्र से उनके मित्र बन जाते थे | वे कई विद्याओ को बचपन में ही सीख चुके थे |

गणेश जी को एक दंत बनाया था |

भगवान परशुराम जी अपने क्रोध के कारण भी जाने जाते थे | इसी कारण जब उनका सामना श्री गणेश जी से हुआ तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया जिससे वे बहुत ज्यादा क्रोधित हो गए और नाराज़ हो गए | पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो श्री गणेश जी उन्हें शिव जी से मुलाकात करने से रोक दिया था | इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया | इसी कारण से ही भगवान गणेश जी एकदंत कहलाने लगे |

श्रीराम और श्रीकृष्ण से संबंध |

त्रेतायुग में भगवान राम ने जब शिव धनुष तोड़ा तो भगवान परशुराम जी महेंद्र पर्वत पर तपस्या में लीन थे | लेकिन जैसे ही उन्हें धनुष टूटने का पता चला तो क्रोध में आ गए लेकिन जब उन्हें प्रभु श्रीराम के बारे में पता चला तो उन्होंने श्रीराम को प्रणाम किया | इसके बाद भगवान श्रीराम ने परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र भेट किया और कहा की द्वापर युग में जब उनका अवतार होगा तब उन्हें इसकी जरूरत पड़ेगी | इसके बाद जब भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में अवतार लिया तब परशुरामजी ने धर्म की रक्षा के लिए उन्हें सुदर्शन चक्र वापिस कर दिया |

 

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