क्षितिज के पार से by Pragya Shuka

क्षितिज के पार से By Pragya Shukla

क्षितिज के पार से By Pragya Shukla चाहती हूँ लौट आओ तुम क्षितिज के पार से, अब तिमिर घनघोर छाया, कुछ नजर आता नहीं, राह अब मुझको दिखाओ, तुम क्षितिज…
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बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर – Harivansh Rai Bachchan’s Poem in Hindi

श्री हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा प्रस्तुत एक बेहतरीन कविता – बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर… क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है. मैंने समंदर से सीखा है जीने…
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