स्वर्ग का मार्ग by महात्मा बुद्ध Hindi Story

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By Hitesh Kumar

Swarg Ka Marg (स्वर्ग का मार्ग)

ये बात महात्मा बुद्ध जी के समय की है | उन दिनों मृत्यु के पश्चात् आत्मा को स्वर्ग में प्रवेश करवाने के लिए कुछ विशेष कर्मकांड या फिर यूँ कहे की पंडितो से कुछ उपाय करवाए जाते थे| पंडितो द्वारा एक छोटे घड़े में कुछ छोटे छोटे पत्थर डाल दिए जाते थे और पूजा और हवन इत्यादि करने के बाद उस पर किसी धातु से चोट मारी जाती थी अगर उस चोट से वह घड़ा फुट जाता था और पत्थर निकल जाते थे तो इसे ये संकेत समझा जाता था की आत्मा अपने पापों से मुक्त होकर उसे स्वर्ग जाने का स्थान मिल गया है |

चूँकि घड़ा मिट्टी का होता था तो उसका इस प्रक्रिया में फूटना निश्चित होता था और आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती थी | इसी प्रक्रिया को करने में पंडितो को खूब दान दक्षिणा भी मिलती थी |

एक युवक ने अपने पिता की मृत्यु के बाद सोचा की क्यों न आत्मा की शुद्धि के लिए महात्मा बुद्ध की मदद ली जाये |

वे अवश्य ही आत्मा को स्वर्ग दिलाने का कोई न कोई बेहतर रास्ता बताएंगे | बस फिर क्या था इसी सोच के साथ वो महात्मा बुद्ध के समक्ष पहुँच गए |

उसने कहा, “हे महात्मा! मेरे पिता जी अब इस दुनिया में नहीं रहे, कृपया करके कोई ऐसा उपाय सुझाये की ये सुनिश्चित हो सके की उनकी आत्मा को स्वर्ग में ही स्थान मिले |

महात्मा बुद्ध बोले, “ठीक है! मैं जैसा कहता हूँ वैसा ही करना, सबसे पहले जाओ और उन पंडितो से दो घड़े लेकर आना | उनमे से एक में पत्थर और दूसरे में घी भर देना | दोनों घडो को नदी पर लेकर जाना और और उन्हें इतना डुबोना की बस उसका ऊपरी भाग ही दिखे | उसके बाद पंडितो ने जो मन्त्र तुम्हे सिखाये हैं उन्हें जोर जोर से बोलना और अंत में धातु से बनी हथोड़ी से उस पर निचे से वॉर करना रो ये सब करने के बाद मुझे बताना की तुमने क्या देखा?”

वह युवक बहुत खुश हुआ उसे लगा की महात्मा बुद्ध द्वारा बताई गयी इस प्रक्रिया से निश्चित ही उसके पिता के सब पाप जो भी उन्होंने जीते जी किये होंगे वो सब काट जायेंगे और उनकी आत्मा को निश्चित ही आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होगी |

अगले दिन उस युवक ने बिलकुल वैसा ही किया जैसा की महात्मा बुद्ध ने बताया था | सब करने के बाद वह महात्मा बुद्ध के समक्ष उपस्थित हुआ |

महात्मा बुद्ध ने कहा, “आओ पुत्र, बताओ तुमने क्या देखा?”

युवक बोला, “मैंने आपके बताये अनुसार पत्थर और घी से भरे दो घड़ों को नदी में डालकर धातु से चोट की | पर जैसे ही मैंने उनपे चोट की तो सारे पत्थर पानी में डूब गए | उसके बाद घी भी नदी के बहाव में बहने लगा और धीरे धीरे सारा घी बह गया |”

महात्मा बोले, ठीक हैं! अब जाओ और उन पंडितो को जाकर कहो की कोई ऐसी पूजा या यज्ञ इत्यादि कुछ करें की वे पत्थर पानी के ऊपर तैरने लगे और घी भी नदी की सतह पर रुक जाये |

युवक हैरान होते हुए बोला, “आप कैसी बात करते हैं?” पंडित चाहे कितनी भी पूजा और यज्ञ क्यों न कर ले पर पत्थर कभी पानी पे तैर नहीं सकता और घी भी कभी नदी की सतह पर जाकर बैठ नहीं सकता!”

महात्मा जी बोले, “बिलकुल सही, और ठीक ऐसा ही तुम्हारे पिताजी के साथ हैं | उन्होंने अपने जीवन में जो भी अच्छे या बुरे कर्म किये हैं वो उन्हें स्वर्ग और नरक के द्वार की तरफ ले कर जायेंगे चाहे तुम जितनी भी पूजा या यज्ञ करवा लो | तुम कभी भी उनके किये गये कर्मो को कभी नहीं बदल सकते |”

वह युवक महात्मा बुद्ध द्वारा कही गयी बात समझ चूका था की मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग जाने का सिर्फ और सिर्फ एक ही मार्ग हैं और वो हैं जीते जी अच्छे कर्म करना |